बदलती है तो बदल जाए ये दुनिया, कब हमारी थी ही ये दुनिया। कभी तो रुक कर आराम भी करेगी, आखिर कहाँ तक चलेगी ये दुनिया। सरहदें खींचकर सब ने बाँट तो लिया है, किसी के हिस्से में मगर नहीं आएगी ये दुनिया। ये शमसान गवाही सुबह-शाम देते हैं, कौन अपने साथ ले गया ये दुनिया। #रित