बचपन में मोहल्ले में किसी की शादी हो या कोई छोटा सा महोत्सव हो या
कोई त्यौहार हो जब ये छोटी छोटी टिमटिमाती हुई इन तारों को अपना घर और आंगन में सजाते थे... इन रंगीन तारों को जब भी मैं देखती थी
तब एक अलग ही ख़ुशी होती थी मन में....
माना ये कुदरत की दी हुई तारे नहीं मगर
ये तारे जब अपने घर के अँगान को चमक देता था
उसे देखते हुए बहुत ख़ुशी होती थी...