ये रात का सन्नाटा ना सही, तेरे परेशाँ करते ख़र्राटें पसंद है ये मखमली चादर की सिलवटों में ही सही, तेरी बाहों में सुकूँ से सोना पसंद है ये झूले पर तेरे ख़यालों के साथ झूलना ही सही, तेरा मेरे काँधे पर थक कर सिर रखना पसंद है ये तेरे बेसुरे टूटे राग ही सही, तेरा लोरी गाकर मुझे सुलाना पसंद है ये तेरे जानलेवा इशारों में ही सही, तेरा छुप छुप के इज़हार करना पसंद है ये रूखे शब्दों की आड़ में ही सही, तेरा बात बात पर मेरी फ़िक़्र करना पसंद है ये तेरी बचकानी ज़िद्द ही सही, तेरा मुझपे अपना हक़ समझना पसंद है ये सफ़र अब तन्हा चलना ही सही, तेरा अब भूले से भी मिल जाना कभी,पसंद है #तेरे_होने_का_एहसास #भूले_से_मिलना #yqbaba #yqdidi #drgpoems Photo credits : qygyzx.com