ऐसा रिश्ता है तुमसे जो बिन ड़ोर के बंध गया मिश्री की तरह मेरे जीवन में घुल गया हवा के झोंके सा महसूस होता गया याद आते है सुअवसर वो सारे कैसे कटते थे दिन तुम्हारे सहारे वो नोंक झोंक ,एक दूसरे को चिढ़ाना सबकी पसंद को अपनी पसंद बनाना ऐसा रिश्ता है तुमसे कुछ जाना कुछ जान से भी ज्यादा कुछ मासूम सा कुछ अलबेला सा माना नियति है बहुत निर्दयी वक़्त की मार बहुत है दुशवार ग़लतियों से सीखें हुए ही ये अक्षर है मेरे यार बहुत खोया है यहाँ इस मरुथल में तुम ही हो खिलते गुलाब मेरे उपवन में मैं ,मेरा , से परे गर सोच सके तो सोचें अजनबी बनकर आये थे आज फिर क्यों अजनबी बन बैठे Miss You lifelines. #yqbaba #yqdidi #friendsforever #lifelines #bff #mygems #parallelpoets