Nojoto: Largest Storytelling Platform

कभी फुर्सत , मिली तो देखूंगा , में एक बार खुद को

कभी फुर्सत , मिली तो देखूंगा ,
 में एक बार खुद को आईने में देखूंगा ,,,,, 
सफर ज़ारी है , खत्म कहा , 
कभी यहाँ कभी वहा ,, 

मंज़िल को रोज ढूंढ़ता हूँ ,
, अब तक तो ना सही पता चला ,, 

आपके सेहर से रौशनी , लेकर जाते है
 , तो आपको क्यों बुरा लगा ,,,, 

आपके सेहर में रौशनी यूँ ही नहीं है ,, रागिब 
,,, इस रौशनी में ना जाने कितनो ,, के ख्वाब जले ,, 
कितनो का बचपन जला ,,,, 

वो बचपन की ज़िद अब कहा ,,, 
वो ज़िद्दी बच्चा अब कहा ,

 वो फुर्सत वाले दोस्त अब कहा , 
वो स्कूल अब कहा वो बस्ता अब कहा ,,

, घर जहा था , जैसा था वैसा ही रहा ,,, 
घर बुलाने के लिए ज़िद्द करने 
वाली वो ज़िद्दी माँ अब कहा ,,,

 रिश्ते और भी , है बाकी अभी ,, 
मगर उन रिश्तों की नज़र 
में बहुत समझदार रहा ,,,, 

 आग़ाज़े ज़िन्दगी के   , वो चनचल चेहरे ,
 जिन पर  जिम्मेदारियों , के निशान ,
 मजबूरियों , के नक़्शे ,, वक़्त का अकस रहा ,,,, 

कभी बैठूंगा तो सोचूंगा , 
जो फुर्सत मिलेगी तो एक 
बार आईने में खुद को देखूंगा ......

©Mohmmad Ragib safi khan
  #Ragibkhan ✍✍✍ ❤❤ Radhika Singh Bushra Ansari jannat zubair Dil E Nadan Anuradha Sharma