अब बताना मुझको अखबारों में पढ़ कर कैसा लगता है
पहले सुनती थी सामने होकर छुपकर पढ़ना कैसा लगता है
ये वही दिल है जो तुम तोड़ गयी थी सालो पहले
अब वही मुरझाया चेहरा अब हँसमुख लगता है
✍️ अमितेश निषाद
अब बताना मुझको अखबारों में पढ़ कर कैसा लगता है
पहले सुनती थी सामने होकर छुपकर पढ़ना कैसा लगता है