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हथेलियाँ जब भी मिली तेरी हथेलियों से मेरी, मजबूत

 हथेलियाँ जब भी मिली तेरी हथेलियों से मेरी,
मजबूत साथ का अनुभव कुछ इस कदर हुआ है..!

मेरी ज़िन्दगी में आकर मेरी कमियों को भी अपनाकर,
मेरी रूह को अपनी शालीनता से छुआ है..!

भीड़ दिल में लगी थी जो भी अभी तक,
उन सभी को जैसे मन से दरकिनार किया है..!

इश्क़ की भाषा से परिचित तो नहीं मैं,
तेरे हाथों के स्पर्श से कुछ तो हुआ है..!

हर तरफ छाई हो जैसे बहार इश्क़ की,
मेरे उथल पुथल जीवन को एक ठहराव दिया है..!

©SHIVA KANT
  #hateli