आशुफता और गम ना दे सहम रहा हूँ मैं रफता रफता पलके धो रहा हूँ अपने अश्को से आशुफता और रुस्वाई ना दे तनहा हूँ मैं हस्ता हस्ता लकीरो को रोज मीटा सो जाता हूँ आशुफता ख्वाबों में हाथों से पलों का रेत रिस्ता रिस्ता धडकनो का शोर कम हो उठ जाता हूँ आशुफता दैर ओं हरम पहूँच जाता हूँ कभी घिस्ता घिस्ता मुलाकात हो ही नही पाती रूह से मेरी आशुफता @तनहा शायर हूँ आशुफता और गम ना दे सहम रहा हूँ मैं रफता रफता पलके धो रहा हूँ अपने अश्को से आशुफता और रुस्वाई ना दे तनहा हूँ मैं हस्ता हस्ता लकीरो को रोज मीटा सो जाता हूँ आशुफता