खामोश न बैठ कुछ तो गुनगुनाया कर, दर्द ए दिल का कुछ दर्द ही सुनाया कर.. इस तरह से खामोश रहने से क्या होगा, मेरे दोस्त अपने होंठो से मुस्कुराया कर.. यूँ खामोश रहोगे तो लोग जीने नहीं देंगे, जीना है तो बीती बातों को भुलाया कर.. सीख जा इस जमाने के आदतन जीना, हर एक बात को दिल से न लगाया कर.. गोविन्द पन्द्राम #मेरे_दोस्त