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#FourLinePoetry सुबह, धरती सबनम की बूँदों से भीगी

#FourLinePoetry  सुबह, धरती सबनम की बूँदों से भीगी भीगी नजर आती है
यहाँ वहाँ हर जगह, जहाँ जहाँ तुम सोती हो। 
हमेशा सन्नाटा ही क्यों होता है गोद में तुम्हारे?
बताओ रात, भला तुम किससे बिछड़कर रोती हो?

©RAVISHANKAR PAL रात

#fourlinepoetry  Pushpvritiya  deepti Divya Joshi Harlal Mahato Amit kothari
#FourLinePoetry  सुबह, धरती सबनम की बूँदों से भीगी भीगी नजर आती है
यहाँ वहाँ हर जगह, जहाँ जहाँ तुम सोती हो। 
हमेशा सन्नाटा ही क्यों होता है गोद में तुम्हारे?
बताओ रात, भला तुम किससे बिछड़कर रोती हो?

©RAVISHANKAR PAL रात

#fourlinepoetry  Pushpvritiya  deepti Divya Joshi Harlal Mahato Amit kothari