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ज़ाहिल थे हम तो, अब सलीका सीखने चले हैं। रूठना ही

ज़ाहिल थे हम तो, 
अब सलीका सीखने चले हैं।
रूठना ही आता था हमको,
आज मनाने का तरीका सीखने चले हैं।

©Param Jeet सलीका
ज़ाहिल थे हम तो, 
अब सलीका सीखने चले हैं।
रूठना ही आता था हमको,
आज मनाने का तरीका सीखने चले हैं।

©Param Jeet सलीका
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Paramjeet

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सलीका