अर्ज हैं... उनसे...उनसे नहीं जो उनसे परे बैठेंहैं। कोई जाकर उन्हें बताये हम उन पर मरे बैठें हैं। मग़र... मग़र वो अपने हुस्न पर इतना भी ना इतराये। उनसे कही हंसी इस महफ़िल में बैठें हैं। शायरी..