मंज़िल मिले ना मिले पंख फैलाके उड़ना है हर दुःख से मुह फेरकर सुख की तराजू को तोलना है मकसद पूरे हो ना हो सपना देखना चाहिए शायद कल ये पल हो ना हो 142