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कुछ सवाल भी अधूरे रह जाते है जवाबों की तरह। कुछ ख़्

कुछ सवाल भी अधूरे रह जाते है
जवाबों की तरह।
कुछ ख़्वाब भी टूट जाते हैं
सितारों की तरह।
कुछ राहें भी छूट जाती है
मुसाफिरों की तरह।
ये तो जिंदगी का दस्तूर हैं
यहाँ कौन बेकसूर हैं।
कुछ अपने भी रूठ जाते है
जिंदगी की तरह। पतझड़ के मौसम में बहार कहां
जी लो जिंदगी, इसका भी एतबार कहाँ।
कुछ सवाल भी अधूरे रह जाते है
जवाबों की तरह।
कुछ ख़्वाब भी टूट जाते हैं
सितारों की तरह।
कुछ राहें भी छूट जाती है
मुसाफिरों की तरह।
ये तो जिंदगी का दस्तूर हैं
यहाँ कौन बेकसूर हैं।
कुछ अपने भी रूठ जाते है
जिंदगी की तरह। पतझड़ के मौसम में बहार कहां
जी लो जिंदगी, इसका भी एतबार कहाँ।

पतझड़ के मौसम में बहार कहां जी लो जिंदगी, इसका भी एतबार कहाँ।