( अनुशीर्षक ) तुमने कहा यह मौन तुम्हें प्रतीत होता है अनल के किसी अँगारे भी भांति जैसे निगल रहा हो दाह होती देह,. अपने लम्बे - लम्बे नुकीले नाखुनों से अनायास ही