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रचना - संस्कारों की चिता  अगर चला जा सकता मैं फिर

रचना - संस्कारों की चिता 
अगर चला जा सकता मैं फिर से बचपन की अमराइयों में 
वो दादी के किस्सों गीतों और कहानियों की रुबाइयों   में ...
अगर फिर से मिल पाते आँख मिचौली वाले दिन 
हंसी ठहाकों हुर्दंगों में राते कटती तारे  गिनं ...
वो मिटटी की खुसबू सोंधी मन प्रफुल्लित कर जाती थी 
बाग़ की ठंडी हवा सारे दिन की थकान हर जाती थी 
कितनी अच्छी सोंधी खुसबू आती थी  देगची  की चाय से 
लोगो के तानो ठहाको और उनके बातो के अभिप्राय से ..
कभी मिटटी को भी माँ का दर्जा देते थे ..
सम्मान में लोग एक दूसरे को पछाड़ने की होड़ में रहते थे ..
आज माँ की भी परवाह नहीं , सम्मान  की कोई आह नहीं 
बस ईर्ष्या द्वेष में जीते हैं ..नफरत की शराब पीते हैं 
खुद को मॉडर्न बनाने की होड़ में 
एक दूसरे को पीछे छोड़ने की दौड़ में 
खुद को ही हम भूल गए हैं 
संस्कारों वाली भारत भूमि में ...हम मॉडर्न हो गए हैं 
माना की मॉडर्न होना जरुरी है ..
पर क्या मॉडर्न होने के लिए संस्कारों की चिता जलाना जरुरी है 
सोचियेगा जरूर.....
     .                      -. अमित #Nojoto #Nojotohindi 
रचना - संस्कारों की चिता 


अगर चला जा सकता मैं फिर से बचपन की अमराइयों में 

वो दादी के किस्सों गीतों और कहानियों की रुबाइयों   में ...
रचना - संस्कारों की चिता 
अगर चला जा सकता मैं फिर से बचपन की अमराइयों में 
वो दादी के किस्सों गीतों और कहानियों की रुबाइयों   में ...
अगर फिर से मिल पाते आँख मिचौली वाले दिन 
हंसी ठहाकों हुर्दंगों में राते कटती तारे  गिनं ...
वो मिटटी की खुसबू सोंधी मन प्रफुल्लित कर जाती थी 
बाग़ की ठंडी हवा सारे दिन की थकान हर जाती थी 
कितनी अच्छी सोंधी खुसबू आती थी  देगची  की चाय से 
लोगो के तानो ठहाको और उनके बातो के अभिप्राय से ..
कभी मिटटी को भी माँ का दर्जा देते थे ..
सम्मान में लोग एक दूसरे को पछाड़ने की होड़ में रहते थे ..
आज माँ की भी परवाह नहीं , सम्मान  की कोई आह नहीं 
बस ईर्ष्या द्वेष में जीते हैं ..नफरत की शराब पीते हैं 
खुद को मॉडर्न बनाने की होड़ में 
एक दूसरे को पीछे छोड़ने की दौड़ में 
खुद को ही हम भूल गए हैं 
संस्कारों वाली भारत भूमि में ...हम मॉडर्न हो गए हैं 
माना की मॉडर्न होना जरुरी है ..
पर क्या मॉडर्न होने के लिए संस्कारों की चिता जलाना जरुरी है 
सोचियेगा जरूर.....
     .                      -. अमित #Nojoto #Nojotohindi 
रचना - संस्कारों की चिता 


अगर चला जा सकता मैं फिर से बचपन की अमराइयों में 

वो दादी के किस्सों गीतों और कहानियों की रुबाइयों   में ...
amittiwari3681

Amit Tiwari

Bronze Star
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