हवा से कहा है मुझे भी बताना, पता जब चलेगा सनम का ठिकाना। ज़माना हुआ तू नज़र तक न आया, कहाँ अब मिलेगा तिरा ये फ़साना। कहाँ से चला था ये झोंका "विशाल", कहाँ जा लगा है मिरा ये निशाना। Sanam ka thikana #ghazalnama #hindipoetry