मेरी सफ़र इतना भि आसान नहीं था फिर भि हर एक सफर को गले लगाया था कितना भि परिशनि आया किस को ना जताया था जो भि परिशनि आया उसे ख़ुशी से गले लगाया था फिर भि मेरे साथ मेरे आपने थे इसलिए मेरे हर एक कठिन सफर सुहाना था ©Pramodini Mohapatra #Thinking #Thinking