कफ़स में रखके वो उसकी भलाई चाहता है, परिंदा बेख़बर है बस रिहाई चाहता है! फ़क़त इंसां बने रहने पे अब राज़ी नहीं है, यहां हर शख़्स दुनिया पर ख़ुदाई चाहता है। ग़रज़ इससे नहीं उसको हुआ क्या-क्या है हासिल अजब इंसां है चीज़ें सब पराई चाहता है। जिसे भी रास आता है समंदर का तलातुम मेरी आंखें ही वो बस डबडबाई चाहता है। मेरे औसाफ़ यूं उनको नज़र आएंगे कैसे! वो मुझमें देखना ही बस बुराई चाहता है। #yqaliem #qafas #khudaai #talatum #ausaaf #yqurdu #urduhindi_poetry Baher: 1222 1222 1222 122 कफ़स : Prison, cage तलातुम : ocean waves 🌊 औसाफ़ : Goodness