खेलो! तुम सतरंज़ की बाज़ी समझकर बस चौसठ खाने तुम्हारे... यहीं हार यहीं जीत समय है! कभी साथ, कभी विपरीत बाँटो जितने टुकड़े चाहो, तुम धरती के कर लो सब अपने हिस्से...करो अट्टहास! दुर्योधन को भूल गये तुम? समेट सकोगे आकाश...करो प्रयास दौड़ में तुम्हारे पंख गल चुके हैं नापो धरती करो हिसाब अपनी तो कागज़, कलम-दवात गढ़ लेंगे अपना आकाश और परचम तुम भी देखोगे #patienceisthekey