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"मणिप

                                             "मणिपुर में रेप"
 
1) रेप जैसी जघन्य अपराध, हमेशा जघन्य ही रहेंगे, भले ही उस घटना के बारे में जानकारी कुछ समय बाद ही क्यो न पता चले ? क्या वो लड़की कुछ समय बाद उस दंश को भूल जाती हैं क्या ? अगर वो भूल भी गई तो क्या वो घटना क्षम्य हो जाएगा ? 

2) रेप एक बेटी का नहीं, बल्कि समाज और हमारी सोच का होता हैं। महिला की गरिमा/सुरक्षा/पहचान सब दांव पर लग जाता हैं और हम बड़े प्यार से कहते है, "गलती इसी की होगी"

3) रेप उस समाज की छवि को दिखा रहा हैं, जो भले ही देखने मे "आधुनिक" हो, पर सोच और नियत "मुँह में राम बगल में छुरी" वाली हैं।

4) रेप रिश्तों में अविश्वास को बताते हैं क्योंकि करीब 95% केस में कोई जान-पहचान वाला ही होता हैं, यह समाज और रिश्तों मे व्याप्त अविश्वास को बताता हैं।

5) साहब! रेप को कोई टाइमिंग नही होती ! "सही टाइमिंग तो रेपिस्ट खोजते हैं"  और अक्सर बच निकलते हैं। हमारे यहां के करीब 119 सांसदों पर रेप के केस चल रहे हैं (आंकड़े कुछ और हो सकते है)... यह हमारे जीवंत लोकतंत्र का उदाहरण हैं क्योंकि हमें जिताऊ उम्मीदवार चाहिए। "रक्षक ही भक्षक हो" तो राजनीति की दशा का अनुमान सहज ही लगा लीजिये।

6) "कैंडल मार्च" वाली टोली भी बहुत हैं, साहब! व्हाट्सएप और फेसबुक पर सब  जितना अच्छा दिखता हैं, समाज में सब इसके उलट हैं। 

7)  दोस्तो एक बात और बोलू, शायद महिला अधिकारवादी महिलाये नाराज हो जाय, पर ये सच है, क्योंकि आंकड़े बताते हैं, "रेप हमारे देश की एक सामान्य घटना हैं"

©Saurav life
  #Stoprape
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Saurav life

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