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थरथराते होठों से वो मुस्कुराना तेरा। तेरी इस अदा प

थरथराते होठों से वो मुस्कुराना तेरा।
तेरी इस अदा पर बेहद बहक जाना मेरा।
क्यों खलिश है दिल के रोम रोम मे
यूँ भी नजरों से तीर चलाना तेरा।

VISHAL RAHI
थरथराते होठों से वो मुस्कुराना तेरा।
तेरी इस अदा पर बेहद बहक जाना मेरा।
क्यों खलिश है दिल के रोम रोम मे
यूँ भी नजरों से तीर चलाना तेरा।

VISHAL RAHI