नींद है, ख्वाब है, हक़ीक़त है । और किस चीज़ की ज़रूरत है । गुफ़्तगू क्या हुई परिंदों मे, शाख़ समझी नहीं, गनीमत है । चिठ्ठियों के जवाब लिख डालूँ, आज कुछ तल्खियों से फ़ुरसत है । इत्तेफ़ाकन मिले थे हम लेकिन अब जो बिछड़े तो बस क़यामत है । ये जो सामान है मेरे घर मे मेरी ख़्वाहिश नहीं, ज़रूरत है । ये ख़ुशी भी है क्या ख़ुशी दानिश, ये भी एक शख़्स की अमानत है! ©Mohit singh Rajpoot #ख्वाब #चिठ्ठी #गुफ़्तगू #परिंदों #ख़्वाहिश #ख़ुशी #बिछड़े #अमानत #घर #lovetaj