सच कहने के नुक़सान बहोत होते हैं परवाह मगर उनको कहाँ जो लम्हों की न सोच, तारीख़ की सोचते हैं ज़िन्दगी एक लम्हा है जो पल में गुज़र जाएगी मुश्किल से ही सही मगर एक रोज़ गुज़र जाएगी आने वाले कई ज़मानों का रुख़ मगर सरकशी ये आज की बदल के ज़रूर जाएगी Musings - 19/2/19