A gift to remember ये आँख समन्दर थी, दरियाओं के अन्दर थी न ख्वाहिश थी कोई, बाकी जो दिल के अन्दर थी। तेरी आहटों की आहटों में, मंज़िल सी ढूँढ़ते गए न वो मिले, न उनका प्यार मिला, कल तक जो अपने थे, वो भी रूठते रहे।। - रविन्द्र गंगवार A Gift of remember........