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उसकी महक से खिल जाता है जीवन, जैसे बहारों का मौसम

उसकी महक से खिल जाता है जीवन,
जैसे बहारों का मौसम और खिलखिलाता बचपन..!

यादें तरोताज़ा हो जाती हैं फिर से,
चमक उठता है ये बाँवरा मन..!

बरसती हैं फुहारें कर नए नए इशारें,
सँवारे जीवन को जैसे हरा भरा उपवन..!

सूखे को जैसे मिल जाती है नमीं यूँ,
बरसता है ज़िन्दगी में बन के वो सावन..!

ख़ुशहाल हो जाती है यादों की हस्ती,
बसती है हृदय में यूँ होकर के पावन..!

आई हो मेरे जीवन में जैसे बन के फ़रिश्ता,
खुशियाँ से भरा पूरा हो गया हो मेरा आँगन..!

©SHIVA KANT
  #cycle #mahaktajivan