#OpenPoetry नहीं सूर्य से कहता कोई धूप यहां पर मत फैलाओ कोई नहीं चांद से कहता उठा चांदनी को ले जाओ कोई नहीं हवा से कहता खबरदार क्यों अंदर आई बादल से कहता कब कोई क्यों जलधारा यहां बरसाई फिर क्यों हमसे भैया कहते यहां ना आओ भागे जाओ अम्मा कहती है घर भर में खेल खिलौने मत फैलाओ पापा कहते बाहर खेलो खबरदार जो अंदर आए हम पर ही सब का बस चलता जो चाहे वो डांट लगाये। sun off poem