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#OpenPoetry नहीं सूर्य से कहता कोई  धूप यहां पर मत

#OpenPoetry नहीं सूर्य से कहता कोई 
धूप यहां पर मत फैलाओ 
कोई नहीं चांद से कहता 
उठा चांदनी को ले जाओ 
कोई नहीं हवा से कहता 
खबरदार क्यों अंदर आई 
बादल से कहता कब कोई 
क्यों जलधारा यहां बरसाई 
फिर क्यों हमसे भैया कहते 
यहां ना आओ भागे जाओ 
अम्मा कहती है घर भर में 
खेल खिलौने मत फैलाओ 
पापा कहते बाहर खेलो 
खबरदार जो अंदर आए 
हम पर ही सब का बस चलता 
जो चाहे वो डांट लगाये। sun off poem
#OpenPoetry नहीं सूर्य से कहता कोई 
धूप यहां पर मत फैलाओ 
कोई नहीं चांद से कहता 
उठा चांदनी को ले जाओ 
कोई नहीं हवा से कहता 
खबरदार क्यों अंदर आई 
बादल से कहता कब कोई 
क्यों जलधारा यहां बरसाई 
फिर क्यों हमसे भैया कहते 
यहां ना आओ भागे जाओ 
अम्मा कहती है घर भर में 
खेल खिलौने मत फैलाओ 
पापा कहते बाहर खेलो 
खबरदार जो अंदर आए 
हम पर ही सब का बस चलता 
जो चाहे वो डांट लगाये। sun off poem
abhaymishra1389

Abhay Mishra

New Creator