सुन मेरी चीख पुकार सांई मेरा जीवन है अन्धकार सांई रंगो से यहां धर्म जुड़ा कोई हरा श्वेत कोई केसरी है तू ऐसा रंग बता दे मोहे जो बन जाए श्रंगार सांई नैनो मे मेरे नूर झलकता मन मे हैं अंगार सांई बाहर से मैं पारस हूँ और भीतर से गंगधार सांई ,सुन.. होटो पर तेरे गीत बुने और लफ्ज़ है सुनसान सांई मै तन्हाई से लिपटी यूँ कि महफिल मे वीरान सांई कोई तुझे यहाँ अल्हा बोले कोई कहे तुझे राम सांई मेरे अन्दर काफ़िर बैठा है मै तुझसे हूँ अनजान सांई,सुन. तेरा रंग रूप सब अलग बनाया तुझे जिसने टुकड़ो मे बाँट दिया मुझे काफिर कहकर हँसता है वो धर्म का ठेकेदार सांई ऊँचे महलो मे तुझे बिठाऊ इतनी तो मेरी औकात नही वो मूरत-मूरत फिरे ढूँढता मेरे मन मे बसे हर बार सांई सुन मेरी.. मै लड़ने उस पल बैठी जग से कोई नही जब साथी था लड़ने को तो लड़ जाती पर गयी खुद ही हार सांई कतरा-कतरा बिखरी मै मेरा नाम भी अनाम सांई मिले स्पर्श तेरा तो स्वर्ण प्रतिमा वरना महफिल मे बदनाम सांई सुन मेरी.... #nojotomeerut