वक़्त की चाल देख रिश्ते बनाते हैं लोग आज बस मेरी अच्छाइयाँ गिनाते हैं लोग। मेरे हिस्से की रोटी पे पल जवान हुए हैं मेरे घर का खाना अब बुरा बताते हैं लोग। उनको कमरा दे रात ओसारे में बिताई है आज तिमंज़िला अपना दिखाते हैं लोग। तैर कर पार किया है दुखों का समंदर मेरी खुशियों की नाव पे चढ़े जाते हैं लोग। यूँ ही नहीं होना होता है खुदगर्ज़ यहाँ ऊँगली थमाओ माथे पे चढ़े जाते हैं लोग। हाँ, जन्नत की हक़ीक़त हमें भी मालूम है बहलाने दीजिये, दिल बहलाते हैं लोग। ―कुमार दिव्यांशु शेखर #ghazal #बेबह्र #Hindi #urdu #Poetry #Nojoto #nojotohindi #Life