उम्मींद अच्छी,-बुरी दोनों है साहब टूटती है जान लेती है पूरी होती है तो जहाँन देती है! छोटी सी ल्बज-ए-उम्मींद पर दुनिया थमी है,बात अलग है,की अक्सर ये पूरी नहीं होती है..! #Umeed #tere#pure#hone#k#chah#me#taktki#lgi#hai#