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धुंधली सी दिखाई दी थी उसकी सूरत महज़ कुछ ही लम्हे

धुंधली सी दिखाई दी थी उसकी सूरत
महज़ कुछ ही लम्हे थे 
मेरे पास देखने के लिए उसे
वो कम नहीं थी किसी से संगमरमर  पत्थर सी मूर्त
अब बदलना भी था कुछ पर वो मेरे साथ हुआ नहीं
क्यूंकि वो थी मेरे ख्वाबों की एक हरकत B+133+8
धुंधली सी दिखाई दी थी उसकी सूरत
महज़ कुछ ही लम्हे थे 
मेरे पास देखने के लिए उसे
वो कम नहीं थी किसी से संगमरमर  पत्थर सी मूर्त
अब बदलना भी था कुछ पर वो मेरे साथ हुआ नहीं
क्यूंकि वो थी मेरे ख्वाबों की एक हरकत B+133+8