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लाज़िम नही गुरुर इस आलम-ए-तक़रीर पर , की हर जज़्बात

लाज़िम नही  गुरुर इस आलम-ए-तक़रीर पर ,
की हर जज़्बात होंठो के तलबगार नही होते ..
मुमकीन है इब्तिदा-ए-मोहब्बत आज भी आँखों से 
की तमाम आशिक़ जिस्मो के खरीदार नही होते...। लाज़िम :- necessary 
आलम-ए-तक़रीर :- state of speech 
तलबगार :- desirous 

#शायरी #nojotohindi #nojotourdu #writers #nojotoofficial
लाज़िम नही  गुरुर इस आलम-ए-तक़रीर पर ,
की हर जज़्बात होंठो के तलबगार नही होते ..
मुमकीन है इब्तिदा-ए-मोहब्बत आज भी आँखों से 
की तमाम आशिक़ जिस्मो के खरीदार नही होते...। लाज़िम :- necessary 
आलम-ए-तक़रीर :- state of speech 
तलबगार :- desirous 

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