कंधे पर बिठा कर मेला दिखाया, तुमने
घूम ना जाऊं इस भीड़ में ,शीर पर बिठाया, तुमने
हर पल साथ न हो कर भी,
दुनिया से कंधे से कंधा मिला कर चलना सिखाया, तुमने
माना कभी खैरियत न पूछी ,मां की तरह मेरी
पर सब सह कर इस दुनिया के काबिल बनाया,तुमने
बस एक शिकायत आज भी है तुमसे,
आज तक मां की तरह गले ना लगाया, तुमने #FathersDay#कविता