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--जीत सुलह की--

        
                   --जीत सुलह की--
                    नाराजगी के बाद
        जी चाहता है कि मैं तुमसे बात कर लूं 
           पर 'कुछ है'जो मुझे रोक देता है, 

-क्या है 'वह' जो रोक देता है हमें सरल बनने से,
              शायद उसे हम जानते हैं, 
      फिर भी उसे हम क्यों नहीं रोक पाते हैं, 
      जो चल रहा है उसे वैसा ही चलने देते हैं, 
          शायद, उसे हम बड़ा होने देते हैं, 
             अपने तन से अपने मन से, 
           अपनी खुशी से अपनी हंसी से, 

                          ऐसे में-

             पलट कर अंतर्मन कहता है
            तू द्वंद को क्यों बढ़ने देता है

              पर तू "अहम् को आगे कर", 
               और बात बढ़ने देता है

       फिर शुरू होता है खेल 'शहमात का'
    बाजिया लगती है, जोर आजमाइश होती है 
       आखिर में जीत अहम् की ही होती है,
 
  पर अहम की यह जीत जब बेचैन कर देती है, 
                      फिर एक बार 
         बात शुरू करने की कोशिश होती है, 
                 धीरे-धीरे बहाने बहाने 
            मुलाकातों की कोशिश होती है
       फिर एक दिन "जीत सुलह की" होती है
          "आखिर जीत सुलह की होती है"|
 जीत सुलह की
        
                   --जीत सुलह की--
                    नाराजगी के बाद
        जी चाहता है कि मैं तुमसे बात कर लूं 
           पर 'कुछ है'जो मुझे रोक देता है, 

-क्या है 'वह' जो रोक देता है हमें सरल बनने से,
              शायद उसे हम जानते हैं, 
      फिर भी उसे हम क्यों नहीं रोक पाते हैं, 
      जो चल रहा है उसे वैसा ही चलने देते हैं, 
          शायद, उसे हम बड़ा होने देते हैं, 
             अपने तन से अपने मन से, 
           अपनी खुशी से अपनी हंसी से, 

                          ऐसे में-

             पलट कर अंतर्मन कहता है
            तू द्वंद को क्यों बढ़ने देता है

              पर तू "अहम् को आगे कर", 
               और बात बढ़ने देता है

       फिर शुरू होता है खेल 'शहमात का'
    बाजिया लगती है, जोर आजमाइश होती है 
       आखिर में जीत अहम् की ही होती है,
 
  पर अहम की यह जीत जब बेचैन कर देती है, 
                      फिर एक बार 
         बात शुरू करने की कोशिश होती है, 
                 धीरे-धीरे बहाने बहाने 
            मुलाकातों की कोशिश होती है
       फिर एक दिन "जीत सुलह की" होती है
          "आखिर जीत सुलह की होती है"|
 जीत सुलह की