कौनसा पति खरीदूं इन बिकते बाजरो से मोल ,भाव से बिकते दिखे कई दुकानदारों से कलियुग की इस मंडी में न जाने लोगो को क्या हो गया शहरी चकाचौंध में नौकर लड़को का भाव तेज हो गया अरे वर्षो की मेहनत पिता का, बेटी के लिए प्यार दिखता है खरीदने चला एक पति, जिसमे घर परिवार सा सार दिखता है फकीरों की मंडी में एक लंबी दूर तक नजर टिकती है यहाँ पतियों की नही , बिकते भिखारियो की लाइन दिखती है दाम तय करने से शरीर पा जाओगे एक यौवन जैसा मिलेगा क्या बेटी को सुख जो मन मे सोचा था वैसा जमघट पिताओ का बड़े बड़े घरो पे ,मेला सा लगा हुआ है खरीददारी का ये हुजुम वर्षो से लगा हुआ है सोच सोचकर पिता की बूढी आँखों मे पानी की धारा सी बहने लगी हैं कैसी हो गयी है दुनिया , बिटिया मेरी अपने घर मे पराई सी होने लगी है नही खरीदा जाता कोई पति करके सपनो को मुट्ठी में बन्द , पतियों की मंडी में एक से बढकर एक नगदी पड़ जाती है कम मैं नही जानता कौनसा राजकुमार कौनसी बारात लाएगा कोई तो होगा जो बहु की जगह घर मे बेटी ही चाहेगा ।। ©Mr Emotional #vijaysharmapoetry #writer #poetry #poetrycommunity #writersofinstagram #konsapatikharidu #nojohindi #Nojoto #mremotional #shaadi