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ऐसी अहमियत बढ़ी कि अनमोल हो गये। उनके कड़वे लफ़्ज भी

ऐसी अहमियत बढ़ी कि अनमोल हो गये।
उनके कड़वे लफ़्ज भी मीठे बोल हो गये।
हम भी  तो  नीम  के  पत्ते थे  उनके लिए,
न जाने कब से हम शहद के घोल हो गये। #चतुष्पदी 
#विश्वासी
ऐसी अहमियत बढ़ी कि अनमोल हो गये।
उनके कड़वे लफ़्ज भी मीठे बोल हो गये।
हम भी  तो  नीम  के  पत्ते थे  उनके लिए,
न जाने कब से हम शहद के घोल हो गये। #चतुष्पदी 
#विश्वासी