तितली के जैसा मन मेरा उड़ चलता है फूलों के शहर में
यहां वहां पर फड़फड़ाता हुआ कभी जूही कभी चंपा
कभी गेंदा कभी गुलाब कई तरह के फूल कई तरीके खुशबू
भरपूर जीना है जीवन,,,जब तक सांसे चलती हैं
महसूस करना है जीवन ,,,जब तक आहे भरती है देह मेरी
हवाए ढूंढ लेती है मेरा पता जब छूकर मुझ से गुजरती है #NatureLove#NatureBeauty