तेरी यादों में खोए तो कुछ इस कदर तरसे मेरी आंखों के मेघा समन्दर भर बरसे डूब गई कस्ती मेरी उस सैलाब के डरसे बस जिस्म ही लौटा तेरी यादों के दर से #बुंदेला की कलम से