जिंदगी से बड़ी , कोई सजा ही नहीं । मेरा जुर्म़ क्या है , मुझे पता ही नहीं । इतनें-हिस्सों में बटँ चुका हूँ मैं ,कि शायद अब मेरे हिस्से में कुछ बचा ही नहीं ।। ©सौरभ बेखबर शायरी #Lighसौरभ बेख़बर शायरी t