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34 तत्क्षण भाँप पद्मावती के उद्विग्न भाव, कहा देवी

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तत्क्षण भाँप पद्मावती के उद्विग्न भाव,
कहा देवी! विस्मय का कारण बताओ!
आर्य! यही अंतःपुर चित्र सदिश एक नारी,
संरक्षण में मेरे छोड़ गया है एक ब्रह्मचारी।
तपोभूमि प्रवास में जब थी मैं कुंवारी 
पति का परदेश बसना,कहा लाचारी।
ब्राहणी भेष व्रती वो प्रोषितभर्तृका,
संभवतः हों स्वामी, आर्या आवंतिका।
यथाशीघ्र उन आदरणीया को यहाँ बुलाओ,
आश्वस्त करता तेरा ये विशिष्ट श्रृंगार बनाव।

©RAVINANDAN Tiwari #स्वप्नवासवदत्ता
#NojotoFilms
#nojothindi
#Nojoto 
Harlal Mahato
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तत्क्षण भाँप पद्मावती के उद्विग्न भाव,
कहा देवी! विस्मय का कारण बताओ!
आर्य! यही अंतःपुर चित्र सदिश एक नारी,
संरक्षण में मेरे छोड़ गया है एक ब्रह्मचारी।
तपोभूमि प्रवास में जब थी मैं कुंवारी 
पति का परदेश बसना,कहा लाचारी।
ब्राहणी भेष व्रती वो प्रोषितभर्तृका,
संभवतः हों स्वामी, आर्या आवंतिका।
यथाशीघ्र उन आदरणीया को यहाँ बुलाओ,
आश्वस्त करता तेरा ये विशिष्ट श्रृंगार बनाव।

©RAVINANDAN Tiwari #स्वप्नवासवदत्ता
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Harlal Mahato