आई भोर सुहानी, गई बैरन रात काली, अंजूमन के पटल छाई है लाली, चहके चिड़िया, और चहके यूं मन.. चले गाय-गोरु चरने जंगल की ओर। अनुशीर्षक भोर *** आई भोर सुहानी, गई बैरन रात काली, अंजूमन के पटल छाई है लाली, चहके चिड़िया, और चहके यूं मन.. चले गाय-गोरु चरने जंगल की ओर। ठंडक चिढ़ाती बस्ते में बंद कर डाली, लिए मेहनत किसान चले खेत-खलिहान,