2122 1212 22/112 हाय! कितने बुरे! बुरे थे हम! सख़्त कहते थे और खरे थे हम! एक लम्हे की ज़िंदगी के लिए, जाने कितनी दफ़ा मरे थे हम! रास आती थी दिल को तन्हाई, भीड़ में लोगों से घिरे थे हम। सबकी नफ़रत हमें गंवारा थी, यूं मुहब्बत से कुछ भरे थे हम। जाने किस ख़ाक किस दयार के थे, अपनी ही सोच से परे थे हम! #yqaliem #khak #dayaar #bure #khare #Hum #soch_se_pare #yqurduhindipoetry ख़ाक : Soil दयार : State