हाँ कृष्ण ऐसा था नहीं,राधा को तुमसे प्रेम नहीं पिता और कृष्ण मे हो चुनाव तो राधा ने मन की सुनी नहीं वचन दिया जो पिता को वो उनका विश्वास था मन मे जो कान्हा बसा उससे प्रेम भी है अथा.. लडकर ही सही था दूर होना था..राधा की अपनी थी व्यथा.... साथ चलना असंभव सा हो जब, यथार्थ अपना छूपाना पडता है मन की अपनी प्रीति को खुद ही तोडना पडता है क्षण बडा कठिन वो होता है मन मै एक रण चलता है कृष्ण से प्रेम न है राधा को इक झुठ को जीवन का सच बनाना पडता है #feather व्यथा राधा की