ye दर दरख्त ye खिड़कियां तेरी राह तकती हैं यहां तेरी ओर हंस कर चल पड़ी मेरी ज़िन्दगी की सर्दियां आजा बाँध लूं तुझे ख़ुद से मै मेरे हमसफर जरा सुन ज़रा मेरी नजरों की ये टकटकी तुझे ढूँढ़ती फिरे हर जगह... कहूँ tujh से मै kya ना कहूँ जहन में बस ये सवाल है बस तू समझ ले मुझको ही मेरा आख़िरी ये पयाम है.... ©Anjali आख़िरी payaam