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प्रसन्न व्यक्ति वह है, जो निरन्तर स्वयं का मूल्यां

प्रसन्न व्यक्ति वह है,
जो निरन्तर स्वयं का मूल्यांकन करते हुए
सुधार करता है,
          जबकि दुखी व्यक्ति वह है,
जो सिर्फ दूसरों का मूल्याकंन करते हुए
हर समय उनकी बुराई,
आलोचना, निन्दा एवं ईर्ष्या करता है!!!
 "ना किसी से ईर्ष्या",
              "ना किसी से होड़"!
    "मेरी अपनी मंजिलें",
               "मेरी अपनी दौड़ "!!
@ianilraj01

©Choudhry Anil Kumar Raj प्रसन्न व्यक्ति वह है,
जो निरन्तर स्वयं का मूल्यांकन करते हुए
सुधार करता है,
          जबकि दुखी व्यक्ति वह है,
जो सिर्फ दूसरों का मूल्याकंन करते हुए
हर समय उनकी बुराई,
आलोचना, निन्दा एवं ईर्ष्या करता है!!!
 "ना किसी से ईर्ष्या",
प्रसन्न व्यक्ति वह है,
जो निरन्तर स्वयं का मूल्यांकन करते हुए
सुधार करता है,
          जबकि दुखी व्यक्ति वह है,
जो सिर्फ दूसरों का मूल्याकंन करते हुए
हर समय उनकी बुराई,
आलोचना, निन्दा एवं ईर्ष्या करता है!!!
 "ना किसी से ईर्ष्या",
              "ना किसी से होड़"!
    "मेरी अपनी मंजिलें",
               "मेरी अपनी दौड़ "!!
@ianilraj01

©Choudhry Anil Kumar Raj प्रसन्न व्यक्ति वह है,
जो निरन्तर स्वयं का मूल्यांकन करते हुए
सुधार करता है,
          जबकि दुखी व्यक्ति वह है,
जो सिर्फ दूसरों का मूल्याकंन करते हुए
हर समय उनकी बुराई,
आलोचना, निन्दा एवं ईर्ष्या करता है!!!
 "ना किसी से ईर्ष्या",