"मैं कौन हूँ, बतलाने के लिए तस्वीरों की जरूरत है क्या ? आचरण को चमकाने के लिए हीरों की जरूरत है क्या ?" जो पहले से प्यार के महीन धागों से बंधा हुआ है, उसको बांधने के लिए जंजीरों की जरूरत है क्या ? हम मेहनत के भरोसे जिये, न की किस्मत के भरोसे, हाथ ही काफी हैं, हाथों में लकीरों की जरूरत है क्या ? इंसान बने रहिये, इंसानियत में असंख्य संभावनाएं हैं, गरीबों की जरूरत है क्या, अमीरों की जरूरत है क्या ? मैं अकेली ही काफी हूँ, टूटकर संभलने-बढने से लिए, मंजिल तक पंहुचने के लिए राहगीरों की जरूरत है क्या ?" Preeti uikye 750 17/03124 ©Gondwana Sherni 750 अकेले काफी हु