माँ जैसी सरल है हिंदी, हिंदी तुम मेरा अभिमान हो सिर्फ इतना ही नही तुम मेरा 'स्वाभिमान' भी हो जितनी सरल और भावगम्य हो तुम उतनी ही गहरी मीमांसा है तुममे वाक्य-विन्यास, शब्द-संपदा का अच्युत भंडार किसी सागर की भांति सबको समाहित कर लेती हो तुम तुमसे आबद्ध हो जीवन मेरा नित-नए सोपान को पावे जैसे सरित-सलिला अवनि के हर क्षण चरण पखारे तुझमें रम के जीवन मेरा तेरी ही परिभाषा को पावे सिर्फ आज नही! एक दिन नही! तेरी महिमा हर क्षण-हर युग में चरम सोपान को पावे तेरा दिवस मना कर क्यूँ जतावें पूरे वर्ष में सिर्फ पखवाड़े भर का हर्ष क्यूँ मनावें "हिंदी" तुम तो भारत भाल की बिंदी हो विजय गाथा का अमर तिलक हो सरल हो तुम जितनी! पाना तुम्हें उतना ही दुष्कर तुम्हें जीने के लिए ! व्यक्ति को करना होगा व्यक्तित्व तक का सफर... "हिंदी तुम" मेरा अभिमान हो "हिंदी तुम" मेरा स्वाभिमान हो। मनीषा बोस #हिंदीतुममेराअभिमान