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दिन तो किसी तरह गुज़र जाते हैं लेकिन रातें दर्द

दिन तो किसी तरह गुज़र जाते हैं
 

लेकिन रातें दर्द से भरी होती हैं
 

ज़ख़्म तो समय के साथ भर जाते हैं
 

लेकिन निशान रह जाते हैं
 

अपने आरामदेह बिस्तर पर पड़ा मैं
 

करवटें बदलता हूं और सोने की कोशिश करता हूं
 

लेकिन ख़याल मेरे दिमाग़ में उमड़ रहे हैं
 

और जमा हो गए हैं दिन तो किसी तरह गुज़र जाते हैं
लेकिन रातें दर्द से भरी होती हैं
ज़ख़्म तो समय के साथ भर जाते हैं
लेकिन निशान रह जाते हैं
अपने आरामदेह बिस्तर पर पड़ा मैं
करवटें बदलता हूं और सोने की कोशिश करता हूं
लेकिन ख़याल मेरे दिमाग़ में उमड़ रहे हैं
दिन तो किसी तरह गुज़र जाते हैं
 

लेकिन रातें दर्द से भरी होती हैं
 

ज़ख़्म तो समय के साथ भर जाते हैं
 

लेकिन निशान रह जाते हैं
 

अपने आरामदेह बिस्तर पर पड़ा मैं
 

करवटें बदलता हूं और सोने की कोशिश करता हूं
 

लेकिन ख़याल मेरे दिमाग़ में उमड़ रहे हैं
 

और जमा हो गए हैं दिन तो किसी तरह गुज़र जाते हैं
लेकिन रातें दर्द से भरी होती हैं
ज़ख़्म तो समय के साथ भर जाते हैं
लेकिन निशान रह जाते हैं
अपने आरामदेह बिस्तर पर पड़ा मैं
करवटें बदलता हूं और सोने की कोशिश करता हूं
लेकिन ख़याल मेरे दिमाग़ में उमड़ रहे हैं

दिन तो किसी तरह गुज़र जाते हैं लेकिन रातें दर्द से भरी होती हैं ज़ख़्म तो समय के साथ भर जाते हैं लेकिन निशान रह जाते हैं अपने आरामदेह बिस्तर पर पड़ा मैं करवटें बदलता हूं और सोने की कोशिश करता हूं लेकिन ख़याल मेरे दिमाग़ में उमड़ रहे हैं