बहुत सी बातों को इक चुपी में दबाने को बडा सा दिल चाहिए सब कुछ भूल जाने को यादों के बवंडर में मैं तो डूब ही जाता हूँ अक्सर कोई मांझी भी थकता होगा कश्ती पार लगाने को कोई मांझी