काश !किसी ने जख़्म के बदले , ''मरहम ''भी लगाया होता। आज नज़ारा कुछ और ही होता , तुम मेरे ,मैं तुम्हारा सहारा होता। काश !तुमने उम्मीद ही न की होती , मैंने भी न..... अरमान पाले होते। उम्मीदों के सहारे ही ,जी लिया होता। ''जख़्म ''भी अपनों के ही दिए थे , इसीलिए ''गहरे ''थे। उनका दर्द भी..... मैं ,सह लेता। काश ! किसी ने उन जख़्मों पर.... '' नमक न लगाया होता। '' कुछ गलतियाँ मेरी भी रही होंगी , तुमने तो... साथ निभाया होता। ©Laxmi Tyagi #मरहम लगाया होता